- वफादारी
पाल कर कुत्ता
आदमी,
भौंकना तो सीख गया है,
वफादारी से
क्यों, आज
पीछे हट गया है !
***
आदमी,
भौंकना तो सीख गया है,
वफादारी से
क्यों, आज
पीछे हट गया है !
***
- रोटी
रोटी की ज़िन्दगी
आज,
कितनी कम हो गई,
बनी, तवे पर चढ़ी
और
खत्म हो गई !
***
आज,
कितनी कम हो गई,
बनी, तवे पर चढ़ी
और
खत्म हो गई !
***
- सफलता
जाकर चाँद पर
आदमी,
मिट्टी ले आया है,
आज तक
आदमी,
आदमी तक
नहीं पहुँच
पाया है !
आदमी,
मिट्टी ले आया है,
आज तक
आदमी,
आदमी तक
नहीं पहुँच
पाया है !
***
-रमेश कुमार भद्रावले
1 comment:
आपकी कविताएँ सराहनीय हैं। एक सुझाव है आप चाहें तो इसे नकार दें यह कि क्षणिकाओं में अभी पैनापन नहीं है। और प्रयास कीजिए। वैसे थोड़ा सा प्रयास करें तो आप अच्छी कविताएँ लिख सकते हैं।
डॉ॰ सन्तोष पाण्डेय, लखनऊ
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