20 October 2020

डाका

 क्षणिका
 
          डाका   🌳🌴
           """'''"'"'''"🐟🐆

कीड़े,मकोड़े, मछली
जानवर तक से,
उसे कभी कोई ,
शिकायत नहीं रही,
कुदरत का खजाना
लूटने वालों में,
हमेशा, आदमी की
गिनती रही!

-रमेशकुमार भद्रावले
   हरदा  (म०प्र०)

नोट :- वन, पहाड़, झील
नदियाँ, बाग- बगीचे,
सौन्दर्य ये सब कुदरत का खजाना है। इसे आदमी ने ही लूटा है !!!!

राहत

 क्षणिका
         राहत  👹 
          """"""""""

नव-रात्रि, में
हे, - माँ
कुछ ऐसा शंखनाद,
    हो जावे,
समूचे विश्व की
बड़ी आपदा,
कोरोना का
संहार हो जावे!

-रमेशकुमार भद्रावले
     हरदा (म०प्र०)

नोट :- है माँ, कोरोना रूपी राक्षस को खत्म कर, दुनिया को राहत प्रदान कर

24 May 2005

परिचय

bhdrawle-3
07 सितम्बर 1949 को हरदा (म॰प्र॰) में जन्में श्री रमेश कुमार भद्रावले राष्ट्रीयकृत देना बैंक में प्रबंधक पद पर रहने के बाद स्वेच्छा से सेवा निवृत्त हुए हैं। हिन्दी साहित्य एवं समाज सेवा का आपने संकल्प लिया है। हिन्दी कविता से आप गहराई के साथ जुड़े हुए हैं। क्षणिकाएँ लिखना पढ़ना एवं सुनना आपकी रुचि है। साहित्यिक गतिविधियों में आपकी सहभागिता रहती है।
शब्द प्राणायाम आपका सद्यः
प्रकाशित काव्य-संग्रह है।

सम्पर्क सूत्र-
गणेश चौक गणेश मन्दिर के सामने
हरदा म॰प्र॰ 461331
दूरभाष-07577-224326
Mob- 9229594161

क्षणिकाएँ-1

  • प्राणायाम
घोंघा
बीमारियों का
जीवन समुद्र में
चलता है,
स्वास्थय जैसा
मोती,
योग और प्राणायाम की
सीपी में
पलता है!
***

  • बँटवारा

पानी की
एक बूँद का
जब विश्व में
बँटवारा किया गया,
कतार में
सबसे आगे
समुद्र,
पाया गया !
***


  • विश्वशान्ति
सचमुच,
बुद्धि से बड़ी भैंस है,
आदमी जान जाता
किसी का कुछ बिगाड़ देना
भैंस को नहीं आता,
काश !
भैंस का सिर्फ यह गुण
आदमी में आ जाता
आज विश्व में,
न्यूट्रान और हाइड्रोजन
बम नहीं बन पाता !

***

:: रमेश कुमार भद्रावले ::

क्षणिकाएँ-2

  • वफादारी
पाल कर कुत्ता
आदमी,
भौंकना तो सीख गया है,
वफादारी से
क्यों, आज
पीछे हट गया है !
***
  • रोटी
रोटी की ज़िन्दगी
आज,
कितनी कम हो गई,
बनी, तवे पर चढ़ी
और
खत्म हो गई !
***
  • सफलता
जाकर चाँद पर
आदमी,
मिट्टी ले आया है,
आज तक
आदमी,
आदमी तक
नहीं पहुँच
पाया है !
***

-रमेश कुमार भद्रावले

क्षणिकाएँ-3

  • जुआँ

बन्दर की तरह
आपस में, माँ–बेटी
देखते–देखते जुआँ
एक षड़यन्त्र रच देती हैं,
दहेज के नाखूनों पर
जुआँ की तरह
बहू को,
मसल देती हैं !
***


  • पानी

पानी बचाओ

पानी बचाओ
का डंका,
आदमी बजा रहा है,
पानी बचाने वाला
सिर्फ,
पसीने से नहा रहा है
!
***



  • मेहनत
पन्द्रह दिन की
निराई–गुड़ाई में
वर्षों की
फसल पैदा करता है,
आज आदमी
खेत में नहीं,
चुनाव में मेहनत
करता है !
***

-रमेश कुमार भद्रावले

क्षणिकाएँ-4

  • लकीरें
लक्षमण रेखा से
रेखाओं का सिलसिला
आज तक
चला आ रहा है,
गरीबी रेखा से
गरीब,
बाहर ही नहीं आ रहा है !

***

  • धरातल

आदमी के
आंकलन का पैमाना
आज,
यूँ चलता है,
बड़ा वो है
जो ज़मीन पर नहीं,
पर्दे पर चलता है !
***



  • साधना

कड़ी मेहनत और
साधना में ढली
जेम्सवॉट की भाप को
बच्चों का खेल
मत बनाओ,
एक के पीछे एक आओ
रेल बनाओ, रेल बनाओ !
***

-रमेश कुमार भद्रावले